गुरु पूर्णिमा

8 July, 2017
गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा


गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेशवरह; गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:

करता करे ना कर सके, गुरु करे सब होय। सात द्वीप नौ खंड में गुरु से बड़ा ना कोय।। मैं तो सात संमुद्र की मसीह करु, लेखनी सब बदराय। सब धरती कागज करु पर, गुरु गुण लिखा ना जाय।।

गुरु बिना ज्ञान नहीं ज्ञान बिना आत्मा नहीं, ध्यान, ज्ञान, धैर्य और कर्म सब गुरु की ही देन है।

गुरु गोविंद दोउ खडे काके लागूँ पाँय; बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।

गुरु होता सबसे महान; जो देता है सबको ज्ञान; आओ इस गुरु पूर्णिमा पर करें अपने गुरु को प्रणाम।

तुमने सिखाया उंगली पकड़ कर हमें चलना; तुमने बताया कैसे गिरने के बाद संभलना; तुम्हारी वजह से आज हम पहुंचे इस मुक़ाम पे; गुरु पूर्णिमा के दिन करते हैं आभार सलाम से।

गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेशवरह; गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।

वक़्त भी सिखाता है और टीचर भी! पर दोनों में अंतर सिर्फ इतना है कि टीचर लिखाकर इम्तिहान लेता है; और वक़्त इम्तिहान लेकर सिखाता है!

माँ-बाप की मूरत है गुरु; कलयुग में भगबान की सूरत है गुरु!

अक्षर ज्ञान ही नहीं, गुरु ने सिखाया जीवन ज्ञान; गुरुमंत्र को कर आतमसात, हो जाओ भबसागर से पार!

गुरु होता सबसे महान, जो देता है सबको ज्ञान, आओ इस गुरु पूर्णिमा पर करें अपने गुरु को प्रणाम।


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